कबीर का दोहा 💦
❤ ऐसी बानी बोलिए, मन का आपा खोय |
औरन को शीतल करै, आपहु शीतल होय || 💞
💚मधुर वाणी औषधि के सामान होती है, जबकि कटु वाणी तीर के समान कानों से प्रवेश होकर संपूर्ण शरीर को पीड़ा देती है। मधुर वाणी से समाज में एक – दूसरे के प्रति प्रेम की भावना का संचार होता है। जबकि कटु वचनों से सामाजिक प्राणी एक – दूसरे के विरोधी बन जाते है।
जब हम मधुर वाणी बोलेंगे तो यह अमृत के समान काम करेगा , मधुर वाणी बोलने से खुद का मन भी शांत और सुखद रहता है तो सुनने वाले का भी मन ,शांत ,शीतल और सुखद हो जाता है.
व्याख्या- कबीर का दोहा यह पढ़कर लोग सोचेंगे कि यह तो बस कबीर का दोहा है इसका जीवन से कुछ लेना देना नहीं है, लेकिन यकीन मानिए अगर आप ध्यान से अपने आप को , तो पाएंगे कि वाकई में मीठी और कोमल वाणी से आप खुद भी शांत होते हैं और दूसरे के मन को भी शांत करते हुए उनके मन पर अच्छा प्रभाव डालते हैं तथा उनके मन को मोह लेते हैं. इसीलिए वास्तव में सदा मधुर और शांत वाणी बोलनी चाहिए.
एक बार आप कठोर वचन बोलिए और उसका खुद के मन पर प्रभाव देखिए तथा दूसरे के मन पर प्रभाव देखिए, उसके बाद एक बार आप मीठी और कोमल वाणी बोलिए और उसका खुद के मन पर प्रभाव देखिए और दूसरे के मन पर प्रभाव देखिए दोनों में आपको खुद ही अंतर समझ में आएगा.
यकीन मानिए आप पाएंगे कि कठोर वाणी बोलने से आप खुद तो दुखी हुए ही साथ में सामने वाले को भी दुखी कर दिए. जब की मधुर वाणी बोलने से आपका खुद का मन खुश हुआ और दूसरे का भी मन खुश हुआ.
होता है यूं की जब भी हम कठोर बानी बोलते हैं तो वह हमारे मन की क्रोध भाव से निकलता है और इस क्रोध से खुद का विनाश तो होता ही है साथ में दूसरे का भी विनाश होता है, क्योंकि अगर कोई व्यक्ति बहुत ही क्रोधी रहता है तो वह खुद को ही बहुत ज्यादा सजा देता है और अगल-बगल उसके इस आचरण से भी परेशानी उत्पन्न होती है. वही शांत मनुष्य खुद खुद के जीवन को एक उर्ध्व गति देता है और साथ में अन्य लोगों को भी राहत ही देता है. 💕💖
thankyou for giving your invaluable time.
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