सूंदर जीवन का अहसास है यह............
जिंदगी भर कुछ हमेशा साथ नहीं रहता, हर चीज की एक उम्र होती ही है और एक उम्र के बाद उसका ढलान होना शुरू हो जाता है जो कि मजा नहीं देता है, इसलिए समय रहते ही जो करना है कर लो क्योंकि शरीर का भी एक दिन ढलान होता ही है इसलिए युवावस्था में जितनी शरीर में ताकत है उतना अपने लिए तथा अपने परिवार के लिए, रिश्तेदारों के लिए,अच्छा कर लो . जैसे जैसे शरीर का ढलान होता है वैसे वैसे कार्य करने की शक्ति खत्म होती जाती है.
आपने तो अधिकतर देखा होगा कोई भी युवा व्यक्ति काम बहुत ज्यादा करता है और बोलता कम है यह आपने अधिकतर देखा होगा, अब यह जरूरी नहीं है कि युवा व्यक्ति बोलता ही नहीं है लेकिन अधिकतर यही पाया गया है कि काम करते हैं जो युवा बहुत ही कम बोलते हैं ,
लेकिन जैसे-जैसे उसका शरीर कमजोर होते जाता है वैसे वैसे उसके कार्य करने की क्षमता भी कमजोर होती जाती है , और जब वह बूढ़ा टाइप हो जाता है तो कुछ करने के बजाय केवल मुंह से ही काम चला लेता है, इसीलिए तो आपने अधिकतर देखा होगा कि बुड्ढे लोग बैठकर खूब आपस में बात करते हैं. अब यह बात केवल पुरुषों के लिए ही लागू नहीं होती है बल्कि महिलाओं के लिए भी लागू होती है.
और ऐसा नहीं है कि यह चीज केवल किसी खास देश में ही होता है बल्कि यह चीज हर देश में, हर जगह पर होता है .
जमाने में कोई भी युवा चाहे युवती, केवल अपनी इच्छाओं की पूर्ति में ही लगा रहता है , वह आगे कि नहीं सोच पाता है और जब तक वह सोचना शुरु करता है तब तक बड़ी देर हो गई होती है. अब ऐसा यह नहीं है कि सभी लोग ऐसा नहीं कर पाते हैं लेकिन अधिकतर यही पाया गया है कि लोगों को अच्छी चीजों की समझदारी बहुत देर से आती है,
कभी-कभी तो ऐसा पाया गया है कि कुछ लोग को समझदारी तब आती है जब उनका सब कुछ लुट जाता है , ज्ञान भी कई तरह का ज्ञान होता है एक होता है समझदारी वाला ज्ञान और एक होता है दाल , चावल ,रोटी कमाने वाला ज्ञान . जब लोगों के पास दाल चावल रोटी कमाने वाला ज्ञान होता है तो वह बड़ा खुश होते हैं और उन्हें लगता है कि वह बहुत ही ज्ञानी इंसान है , और इसी भ्रम में वह जीते रहते हैं, समय बिता चला जाता है, और उन्हें समझदारी वाला ज्ञान बहुत ही देरी से जब प्राप्त होता है , तब वह पछताते हैं कि अरे यार मैंने यह चीज पहले ही क्यों नहीं किया मैंने तो यहां पर मिस्टेक कर दी अब इससे मेरा क्षय बहुत ज्यादा हो गया है अब क्या करूं ?
जो समझदारी वाला ज्ञान है वही वाकई में असली ज्ञान रहता है, अब इसे चाहे आप देरी से प्राप्त करें जल्दी से प्राप्त करें यह आपकी मर्जी है , समझदारी वाला ज्ञान अगर आप पहले ही प्राप्त कर लेंगे तो आप अपने होने वाले नुकसान से बच जाएंगे .
कुछ लोगों को भ्रम हो जाता है कि वह पढ़ लिखकर ज्ञानी हो गए हैं अपनी जान की जरूरत नहीं है. लेकिन ऐसा होता नहीं है ज्ञान की कोई सीमा नहीं है जैसा कि हम सभी जानते हैं क्योंकि ज्ञान अनंत है इसको जितना ही प्राप्त किया जाए उतना ही कम लगता है लेकिन अज्ञानवस हम इसे समझ नहीं पाते हैं ,
इंसान को समझना चाहिए कि जब तक जीवन है तब तक वह स्टूडेंट ही है अर्थात विद्यार्थी ही है ऐसा समझकर जीवन में आचरण करना चाहिए तभी वह हर चीजों को सीखता जाएगा और जितना ज्यादा व चीजों को सीखेगा वह जिंदगी में गलतियां कम करेगा और जिंदगी में गलतियां जब वह कम करेगा तो जिंदगी भर सुख पूर्वक जिएगा .जब वह खुद सुख पूर्वक दीजिएगा तो ही अपने से जुड़े लोगों को भी सुखी रखेगा तथा अपने परिवार और रिश्तेदार के लोगों को भी खुश रख पाएगा लेकिन जब वह खुद ही दुख ही रहेगा तो अपने रिश्तेदार और परिवार लोग को कैसे खुशी रख पाएगा ?
इसीलिए उसे अपने आप को विद्यार्थी समझकर हमेशा ज्ञान प्राप्त करना चाहिए क्योंकि जब तक वह ज्ञानी है तब तक वह अज्ञान रूपी कोई गलत काम नहीं करेगा और इस संसार में जो दुख का कारण है वह आज्ञान हीं है , शेष दुख तो मात्र छाया मात्र है अतः जब आप पूर्णतः ज्ञानी होने लगते हैं तो उसी समय आप अज्ञान से उत्पन्न होने वाले दुख से दूर चले जाते हैं अर्थात आज्ञान रूपी जब आप कोई गलतियां करेंगे ही नहीं दुखा आने की संभावना बहुत ही कम हो जाती है .
समझदारी वाला जो ज्ञान होता है वह उम्र से आता है ऐसा आपने सुना होगा लेकिन इस चीज को आप बहुत जल्दी सीख सकते हैं अगर आप कोई धर्म ग्रंथ का बुक पढ़े तब या उसी से रिलेटेड कोई किताब पढ़ें तब, आप स्वामी विवेकानंद के किताब पढ़ सकते हैं श्री रामकृष्ण परमहंस के किताब पढ़ सकते हैं और आप चाहे तो गीता भी पढ़ सकते हैं उसमें समझदारी के बारे में बहुत ही अच्छा लिखा गया है गरुड़ पुराण पढ़ने से आपको पता चलेगा कि वाकई में मरने के बाद इंसान की स्थिति क्या होती है ? कैसे उसका शरीर बदलता है कैसे उसे शरीर मिलता है? आत्मा कैसे शरीर में जाती है ? स्वर्ग नरक की क्या स्थिति है ? और इस धरती लोक के अलावा भी जितने लोग हैं उनकी क्या स्थिति है ?इस तरह की जानकारियां वहां से बहुत ही अच्छा प्राप्त कर सकते हैं .
अपनी जिंदगी में थोड़ा सा बदलाव लाकर आप बहुत ही अच्छा जिंदगी जी सकते हैं और दूसरों को भी यह स्किल बता सकते हैं. यहां पर यह नहीं कहा जा रहा है कि अगर आप धर्म ग्रंथ की किताबें या जो किताबी हमने भी ऊपर बताएं उसको पढ़ने के बाद उसको आपको सबको बताना है . अगर आपको लगता है कि पढ़ी हुई यह बातें किसी को बताना चाहिए तो ही बताएं, अन्यथा अगर किसी को बताने का मन नहीं है तो मत बताएं क्योंकि होता है कि कुछ लोग मजाक उड़ाते हैं और लोग नहीं चाहते हैं कि कोई उनका मजाक उड़ाए तो अगर इस तरह की बातें हैं तो आप उन बातों को शेयर मत कीजिए जो आपने पढ़ा है और अगर आपको लगता है कि शेयर करना चाहिए तो आप शेयर कर दीजिए .यह सब कुछ आपके ऊपर डिपेंड करता है कि आप चीजों को कैसे लेते हैं . और आप क्या चाहते हैं. वैसे कोई ऐसी चीज लोगों को नहीं शेयर करनी चाहिए जिसको शेयर करने के बाद आप थोड़ा सा इन कंफर्टेबल या मुश्किल पड़ जाए.
वैसे समझदारी वाला ज्ञान शेयर करने में कोई बुराई नहीं है बशर्ते अगर सामने वाला इस ज्ञान से खुश होता है तो उसे शेयर करने में कोई दिक्कत नहीं है. तो यह सब आपसी मेलजोल से समझ में आ जाता है कि वास्तव में यह चीज उससे शेयर की जाए या न की जाए.
शाम को जब हम काम धाम कर कर थक जाते हैं, तो हम क्या करते हैं कि अपना मोबाइल लेकर बैठ जाते हैं और व्हाट्सएप तथा फेसबुक चलाने लगते हैं, और कुछ लोग तो फिल्म लगा कर देखना पसंद करते हैं वैसे भी आजकल बहुत सारे चैनल हो गए हैं. अब यह नहीं कहा जा रहा है कि यह सब चीजें बेकार है, मनोरंजन होना ही चाहिए, तो आप अगर इन चीजों से मनोरंजन करते हैं तो अच्छा बात है कोई दिक्कत नहीं है इससे माइंड थोड़ा सा फ्रेश हो जाता है. लेकिन सोने से अगर ठीक पूर्व अच्छी किताबों को पढ़ लिया जाए या अच्छी चीजों को सुन लिया जाए तो दिमाग को एक अच्छा ज्ञान प्राप्त होता है और सोने से ठीक पहले इन चीजों को पढ़ने से हमारी आत्मा को शांति मिलती है और उससे एक विशेष प्रकार की ऊर्जा मिलती है जिसको की आत्मिक ऊर्जा कहते हैं. इससे हमें दो तरह के फायदे होते हैं एक तो हमारा दिमाग भी शांत होता है और दूसरे हमें अच्छा ज्ञान भी प्राप्त होता है जो कि हमारे जीवन के लिए बहुत ही जरूरी होता है.
हमारे शरीर को जब थकावट होती है तो हम सोचते हैं कि कोई मालिश कर दी तो बहुत अच्छा होता, लेकिन जब हमारे आत्मा को थकावट होती है तो हम उसके लिए कुछ नहीं करते, हमें लगता है कि कोई हमारा हाथ पैर दबा दे हम और हमारे आत्मा को शांति मिल जाएगी, वाकई में शांति मिलती है लेकिन यह थोड़ी शांति होती है इसमें कोई परमानेंसी नहीं होती है, अर्थात इस में अस्थाई आराम नहीं मिलता है, स्थाई आराम आपको तभी मिलेगा जब आप थोड़ा सा ज्ञान प्राप्त करेंगे , और अस्थाई वाला ज्ञान धर्म ज्ञान ही होता है, क्योंकि भगवान धर्म से ही है और धर्म भगवान से ही है.
ठीक है अगर आप आना नहीं चाहते हैं तो आजकल बहुत सारी चीजें निकली हुई है उन्हें आप सुन भी सकते हैं, चाहे तो यूट्यूब पर ही लगा कर उसे सुन सकते हैं, जिस मोबाइल से आप फेसबुक और व्हाट्सएप चलाने में पूरा समय व्यतीत कर रहे हैं उसी मोबाइल से आप थोड़ा सा समय निकाल कर इन चीजों को भी दे सकते हैं और अपने लाइव को थोड़ा बैटर बना सकते हैं.
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