हमारे देश में बसंत पंचमी का त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है बसंत पंचमी के दिन ज्ञान की देवी सरस्वती देवी का जन्म हुआ था इसीलिए यह अवसर देवी सरस्वती की पूजा अर्चना में मनाया जाता है .
पुराने युग में इस दिन राजा सामंतों के साथ हाथी पर बैठकर नगर का भ्रमण करते हुए देवालय पहुंचते थे वहां विनय पूर्वक कामदेव की पूजा की जाती थी और देवताओं पर अन्ना की बालियां चढ़ाई जाती थी बसंत पंचमी पर हमारी फसलें गेहूं और चना आदि तैयार हो जाती है. इसलिए इसकी खुशी में हम बसंत पंचमी का त्यौहार मनाते हैं संध्या के समय बसंत का मेला लगता है जिसमें लोग परस्पर एक-दूसरे से गले लग कर प्रेम भाव तथा सद्भाव को दर्शाते हैं कहीं-कहीं पर बसंती रंग की पतंगे उड़ाने का कार्यक्रम भी चलता है .
इस पर्व पर लोग बसंती कपड़े भी पहनते हैं और बसंती रंग का भोजन तथा मिठाइयां भी बढ़ते हैं ऋतुराज बसंत का बड़ा महत्व है इसकी छटा निहार कर जड़ चेतन सभी में नवजीवन का संचार होता है
ऋतुराज बसंत का बड़ा महत्व है इसकी छटा निहार कर जड़ चेतन में भी नवजीवन का संचार होता है सभी में अपूर्व उत्साह और आनंद की तरंगे दौड़ने लगती हैं स्वास्थ्य की दृष्टि से यह रितु बड़ी ही उपयुक्त है इस ऋतु में प्रातः काल करने से मन में प्रसन्नता और दे में स्फूर्ति आती है स्वास्थ्य और स्फूर्ति दायक मन में अच्छे विचार आते हैं यह सभी लोग जानते हैं यही कारण है कि इस ऋतु पर सभी कवियों ने अपनी लेखनी चलाई है हमारे देश में 6 रितु ए होती हैं जो अपने क्रम से आकर अपनी पृथक पृथक रंग दिखाती है परंतु बसंत ऋतु का अपना अलग ही एक विशिष्ट महत्व है इसलिए बसंत रितु को रितु का राजा कहा जाता है इसमें प्रकृति का सौंदर्य सभी ऋतु से बढ़कर होता है वन वन भाती पुष्पों से जगमगा उठते हैं गुलमोहर, चंपा, सूरजमुखी और गुलाब के पुष्पों के सौंदर्य से आकर्षित रंग बिरंगी तितलियों और मधुमक्खियों के मधु रसपान की होड़ सी लगी रहती है इसकी सुंदरता देखकर मनुष्य भी खुशी से झूम उठते हैं, विद्यार्थियों के लिए भी या त्यौहार बहुत आनंददायक होता है
पुराने युग में इस दिन राजा सामंतों के साथ हाथी पर बैठकर नगर का भ्रमण करते हुए देवालय पहुंचते थे वहां विनय पूर्वक कामदेव की पूजा की जाती थी और देवताओं पर अन्ना की बालियां चढ़ाई जाती थी बसंत पंचमी पर हमारी फसलें गेहूं और चना आदि तैयार हो जाती है. इसलिए इसकी खुशी में हम बसंत पंचमी का त्यौहार मनाते हैं संध्या के समय बसंत का मेला लगता है जिसमें लोग परस्पर एक-दूसरे से गले लग कर प्रेम भाव तथा सद्भाव को दर्शाते हैं कहीं-कहीं पर बसंती रंग की पतंगे उड़ाने का कार्यक्रम भी चलता है .
इस पर्व पर लोग बसंती कपड़े भी पहनते हैं और बसंती रंग का भोजन तथा मिठाइयां भी बढ़ते हैं ऋतुराज बसंत का बड़ा महत्व है इसकी छटा निहार कर जड़ चेतन सभी में नवजीवन का संचार होता है
ऋतुराज बसंत का बड़ा महत्व है इसकी छटा निहार कर जड़ चेतन में भी नवजीवन का संचार होता है सभी में अपूर्व उत्साह और आनंद की तरंगे दौड़ने लगती हैं स्वास्थ्य की दृष्टि से यह रितु बड़ी ही उपयुक्त है इस ऋतु में प्रातः काल करने से मन में प्रसन्नता और दे में स्फूर्ति आती है स्वास्थ्य और स्फूर्ति दायक मन में अच्छे विचार आते हैं यह सभी लोग जानते हैं यही कारण है कि इस ऋतु पर सभी कवियों ने अपनी लेखनी चलाई है हमारे देश में 6 रितु ए होती हैं जो अपने क्रम से आकर अपनी पृथक पृथक रंग दिखाती है परंतु बसंत ऋतु का अपना अलग ही एक विशिष्ट महत्व है इसलिए बसंत रितु को रितु का राजा कहा जाता है इसमें प्रकृति का सौंदर्य सभी ऋतु से बढ़कर होता है वन वन भाती पुष्पों से जगमगा उठते हैं गुलमोहर, चंपा, सूरजमुखी और गुलाब के पुष्पों के सौंदर्य से आकर्षित रंग बिरंगी तितलियों और मधुमक्खियों के मधु रसपान की होड़ सी लगी रहती है इसकी सुंदरता देखकर मनुष्य भी खुशी से झूम उठते हैं, विद्यार्थियों के लिए भी या त्यौहार बहुत आनंददायक होता है
0 टिप्पणियां